जानते है राजस्थान के कुछ ऐतिहासिक स्थलो के बारे में
Rajasthan Historical place in Hindi

राजस्थान ऐतिहासिक स्थल (Rajasthan Historical place in Hindi) : राजस्थान भारत का वाली दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है। यह राज्य भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.4% हिस्सा है। यह भले ही भौगोलिक दृष्टि से भारत का सबसे विस्तृत क्षेत्रफल में फैला हुआ राज्य है। लेकिन इसका ज्यादातर भाग ग्रेट इंडियन डेजर्ट थार के रूप में है। इसे प्राचीन समय में राजाओं की भूमि के नाम से जाना जाता था| भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटन राज्य की है। जहां पर हर साल लाखों की संख्या में दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। यहां पर भारत की सबसे पुरानी सभ्यता देखने को मिलती है। यहां पर कई राजा महाराजाओं का शासन रहा है जिसकी वजह से यहां पर भव्य महल और किले है। यहां पर वास्तु कला और कला की एक विशिष्ट शैली देखने को मिलती है। आज हम जानेंगे राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों के बारे में
आमेर का किला (Amber fort Jaipur) –

आमेर का ऐतिहासिक किला राजस्थान के पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर में अरावली की पहाड़ियों की चोटी पर बना है। यह किला वास्तुशिल्प और इतिहास की वजह से विश्व प्रसिद्ध है। इस किले को आमेर यानी कि भगवान शिव के नाम पर रखा गया। हालांकि स्थानीय लोगों का मानना है कि यह नाम देवी दुर्गा के नाम अंबा से रखा गया है। इस किले का निर्माण 1552 में राजा मानसिंह ने कराया था और उनके उत्तराधिकारियों ने इस किले का विस्तार और नवीनीकरण करवाया। यहां पर भारत से हर रोज करीब 5000 लोग घूमने के लिए आते हैं। यह किला जयपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर है। यह प्रमुख रूप से गुलाबी और पीले बलुआ पत्थर से बना है। शाम के समय किले का नजारा बेहद दिलकश होता है। यह पर्यटकों और फोटोग्राफरों के लिए काफी आकर्षक का केंद्र रहता है। 2013 में इसके लिए को वर्ल्ड हेरिटेज के लिस्ट में शामिल कर लिया गया है।
इस किले की खासियत यह है कि इसमें की गई चित्रकारी में जिन रंगों का प्रयोग हुआ है वह रंग सब्जियों और पौधे से बनाए गए हैं और उनकी चमक आज भी बरकरार है। आमेर किले का एक हिस्सा शीश महल है जो शीशे से बना हुआ है। इसे भी राजा जयसिंह ने 1653 में बनवाया था जो कि उनके खास मेहमानों के लिए था।
सिटी पैलेस जयपुर (City palace Jaipur) –

पिंक सिटी जयपुर में स्थित सिटी पैलेस एक और ऐतिहासिक स्थल है। इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में कराया गया था। बताया जाता है कि इस पैलेस को बनाने में 22 राजाओं ने अपना योगदान किया था। यह सबसे विशाल महलों में से एक माना जाता है। सिटी पैलेस में राजस्थानी परंपरा और मुगल वास्तुकला का देखने को मिलती है। खास बात यह है कि यह महल झील के पास स्थित है। तो पर्यटक महल के साथ-साथ झील की भी सैर करते हैं। यह उदयपुर से 950 मीटर लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है।
नाहरगढ़ किला जयपुर (Nahargarh fort Jaipur) –

जयपुर के नाहरगढ़ किला पर्वत पर बना है। इस किले को राजा जयसिंह द्वितीय द्वारा 1734 में बनाया गया था। सूर्यास्त के समय इस किले का आकर्षक देखते ही बनता है।
जूनागढ़ किला बीकानेर (Junagarh fort Bikaner) –

बीकानेर में स्थित जूनागढ़ किला राजस्थान के शान में चार चांद लगाता है। यह प्राचीन काल से ही वीरों की धरती रही है। बीकानेर में स्थित जूनागढ़ का किला बेहद ही खूबसूरत है। यह शहर के बीचो बीच में बना हुआ है। इतिहास में इसे बीकानेर के किले के तौर पर जाना जाता था। लेकिन बीसवीं शताब्दी में इसके लिए का नाम बदलकर जूनागढ़ रख दिया गया। इस किले की नींव महाराजा राव बीका ने 1478 में रखी थी। लेकिन इस को भव्य बनाने और खूबसूरत आकर देने का कार्य 1589 में राजा जयसिंह ने करवाया। यह किला देखने में बेहद आकर्षक होने के साथ ही बहुत ही विशाल है। कहा जाता है कि इस किले पर कई बार दुश्मनों द्वारा हमला हुआ। लेकिन कभी यह किला थार मरुस्थल के बीच एक बेहद भव्य और विशाल किला है। इस किले की वास्तुकला में कई संस्कृतियों का मिश्रण देखने को मिलता है। इस किले में मुगल और राजस्थान की मिश्रित शैली भी देखने को मिलती है। यह चतुष्कोण आकार में ग्यारह सौ गज में फैला हुआ है।
जैसलमेर का किला (Jaisalmer Fort) –
जैसलमेर किले को गोल्डन फोर्ट ऑफ़ राजस्थान के नाम से भी जाना जाता है। इसे 1156 में भाटी राजपूत राजा ने बनवाया था। यह प्रमुख रूप से लोगों के बीच सोने का किला नाम से मशहूर है।
मेहरगढ़ किला जोधपुर (Mehrangarh Fort Jodhpur) –

मेहरगढ़ किला भारत के प्राचीन किलों में से एक माना जाता है। इसकी स्थापना 15वीं सदी में की गई थी। यह किला 125 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। जो कि 10 किलोमीटर लंबी दीवारों से चारों तरफ से घिरा हुआ है। किले के अंदर कई भव्य महल देखने को मिल जाते हैं। यह जोधपुर शहर से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
उम्मेद भवन पैलेस जोधपुर (Umaid Bhawan Palace Jodhpur) –

उम्मेद भवन दुनिया का सबसे बड़ा और निजी महल माना जाता है। इस महल की स्थापना आजादी से कुछ साल पहले 1993 में की गई थी। इस समय इस महान में 347 कमरे हैं। इस महल की खासियत यह है कि इस महल को बनाते समय इस्तेमाल पत्थरों को जोड़ने के लिए किसी मसाले का प्रयोग नहीं हुआ है। यह सिर्फ पत्थरों से बनाया गया है। इस वजह से इस महल की अद्भुत कलाकारी को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां पर आते हैं। यह जोधपुर शहर से 7 किलोमीटर की दूरी पर है
चित्तौड़गढ़ किला (Chittorgarh Fort) –
चित्तौड़गढ़ किले का ऐतिहासिक महत्व अपने आपमें अनूठा है। यह रानी पद्मावती के गौरवशाली इतिहास से संबंधित है। इसे राजस्थान का विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक गढ़ के रूप में भी जाना जाता है। चित्तौड़गढ़ त्याग और बलिदान की सैकड़ों कहानियां समेटे है। चित्तौड़गढ़ किले का शानदार इतिहास रहा है। इस किले का निर्माण मौर्य काल में सातवीं शताब्दी में हुआ था। यह 118 मीटर की ऊंचाई पर लगभग 700 एकड़ में फैला हुआ है। यह कई विंध्वस सहने के बाद भी आज भी बचा हुआ है। लेकिन किले तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही जटिल है। इसके लिए खड़े और घुमावदार पहाड़ियों से चलकर जाना होता है। इस किले में कई जल निकाय है, जहां पर वर्षा जल संग्रहित रहता है।

चित्तौड़गढ़ किले पर पहला हमला चौदहवीं शताब्दी में रानी पद्मावती की खूबसूरती से आकर्षित होकर अलाउद्दीन खिलजी द्वारा किया गया था। लेकिन राजा रतन सिंह और उनके सैनिकों ने अपनी आखिरी सांस तक बहादुरी से लड़ा लेकिन अलाउद्दीन खिलजी से हार गए। लेकिन अलाउद्दीन का प्रयास सफल नही हुआ। वह रानी पद्मावती को नहीं पा सका। क्योंकि रानी पद्मावती अपनी सहेलियों के साथ चित्तौड़गढ़ किले के अग्निकुंड में जौहर कर लेती हैं।