सेस और सर चार्ज क्या होते हैं? सेस और सरचार्ज में क्या अंतर होता है?
What is cess and surcharge : जब कोई व्यक्ति आयकर (Income tax) के दायरे में आता है और उसका Income Tax कैलकुलेट होता है, तब उसमें सेस (cess) और सर चार्ज (surcharge) की बात भी आती है। आज हम जानेंगे सेस (cess) क्या होता है? सर चार्ज (surcharge) क्या होता है? सरकार इसे क्यों लगाती है तथा इनकम टैक्स सरचार्ज क्या होते हैं?
सेस का हिंदी भाषा में अर्थ होता है – कर पर लगने वाला कर (Tax on Tax)। यह किसी कर दाता (Tax Payer) के ऊपर लगने वाले टैक्स (Tax) के ऊपर टैक्स लगाया जाता है। यानी कि यह एक अतिरिक्त टैक्स है। यह करदाता की आमदनी पर टैक्स की देनदारी पर लगने वाला कर होता है। जिसे सेस (cess) नाम से जानते हैं।
सरकार सेस (Cess) क्यों लगाती है?
सरकार द्वारा किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने के लिए सेस कर लगाया जाता है। सेस लगाने का प्रमुख उद्देश्य सरकार द्वारा देश के विकास के लिए प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अतिरिक्त धन इकट्ठा करना होता है।
जब सरकार अतिरिक्त धन टैक्स के अलावा इकट्ठा करना चाहती है तब वह सेस (cess) लगाती है। जैसे – प्राइमरी शिक्षा के खर्च को पूरा करने के लिए एजुकेशन सेस, स्वच्छ भारत अभियान के लिए स्वच्छ भारत सेस, रोड बनाने के लिए रोड सेस, स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च को पूरा करने के लिए हेल्थ सेस आदि।
सामान्य रूप से करदाताओं से ही सेस कर लिया जाता है। अर्थात एक करदाता जितना कर देता है उसी पर सेस लगता है। सेस सरकार एजुकेशन सेस, सेकेंडरी एजुकेशन सेस आदि को मिलाकर 4% फीस के रूप में चुकाना पड़ता है।
सेस के प्रकार (Type of Cess) –
भारत में प्रमुख रूप से सेस के प्रकार निम्नलिखित हैं –
- एजुकेशन सेस
- इंफ्रास्ट्रक्चर सेस
- क्लीन एनर्जी सेस
- रोड एवं फ्यूल सेस
- कृषि कल्याण सेस
- एजुकेशन एंड हेल्थ सेस
- स्वच्छ भारत सेस
Cess की विशेषता –
स्पेशल कर सेस की विशेषता यह होती है कि इसको इकट्ठा करने से पहले उसके उद्देश्य का निर्धारण कर लिया जाता है। अर्थात यदि सेस कर को केवल स्वच्छ भारत अभियान के लिए लिया जा रहा है तो इस धनराशि को केवल स्वच्छ भारत मिशन पर ही खर्च किया जाएगा।
इस कर (Tax) को सरकार राज्य सरकारों से साझा नहीं करती है। वहीं अन्य दूसरे प्रकार के करो को केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ एक अनुपात में साझा करते हैं।
कई बार सेस कर कुछ खास लग्जरी वस्तुओं पर लगाया जाता है जिसमें कुल खर्चे पर कुछ प्रतिशत के रूप में सेस लिया जाता है। जैसे : भारत में ग्राहकों को मिली सेवा की कुल कीमत का 0.5 प्रतिशत स्वच्छ भारत सेस के नाम से लिया जाता है।
सरचार्ज क्या होता है? (What is Surcharge) –
सरचार्ज (Surcharge) का हिंदी भाषा में अर्थ “अधिभार” से है। यह भी सेस की तरह ही कर के ऊपर कर (Tax on Tax) होता है। लेकिन इसे एक निश्चित सीमा से अधिक आय वाले करदाताओं द्वारा ही लिया जाता है। इसकी वसूली सामान्य टैक्स की तरह Consolidation Fund of India (भारत सरकार का कोष) में जमा होता है। इसे अन्य दूसरे सामान्य करो (Tax) की तरह ही किसी विशेष उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है।
Income Tax पर Surcharge –
भारत में सबसे चार्ज दो तरीके से लगाया जाता है। 50 लाख सालाना से अधिक तथा एक करोड तक की आमदनी वालों को इनकम टैक्स पर 10% अलग से सरचार्ज देना होता है।
एक करोड़ से अधिक दो करोड़ तक की आय वाले आयकर दाताओं को टैक्स पर 15% सरचार्ज देना होता है।
2 करोड़ से अधिक तथा 5 करोड़ तक आय वाले करदाताओं को उनके टैक्स देनदारी का 25% सरचार्ज कर के रूप में देना होता है।
5 करोड़ से अधिक की आय वाले करदाताओं को अपने कर की देनदारी पर 37% सरचार्ज के रूप में देना होता है।
सेस और सरचार्ज में अंतर (Difference between cess and surcharge) –
सेस और सरचार्ज दोनों ही कर के ऊपर लगने वाले कर (Tax on Tax) होते है। लेकिन इन दोनों में प्रमुख अंतर इसके लगाने में अंतर से है। सेस को किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार लगाती है। जबकि सरचार्ज को एक निश्चित सीमा से अधिक आय वाले लोगों पर लगाया जाता है।





