आइये जानते हैं क्या होता है कमर्शियल पेपर

What is commercial Paper in Hindi

What is Commercial Paper: कमर्शियल पेपर को मुद्रा बाजार के एक उपकरण (Tools) के तौर पर जाना जाता है। यह एक प्रॉमिसनरी नोट की तरह होता है। यानी कि मुद्रा बाजार(Money Market) में कमर्शियल पेपर इन्वेस्टमेंट का एक इंस्ट्रूमेंट है। इसे जोखिम भरे निवेश की कैटेगरी में रखते हैं।

हमारे देश में कमर्शियल पेपर (Commercial Paper) की शुरुआत 1990 में की गई थी। भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित कारपोरेट उद्योगों की वित्तीय आवश्यकताओं (Financial needs) को पूरा करने के उद्देश्य से एक पत्र जारी कर के 1990 के दौर में पहली बार कमर्शियल पेपर जारी किया था।

बाद में प्राथमिक डीलरों और अन्य दूसरे वित्तीय संस्थाओं द्वारा भी कमर्शियल पेपर जारी किया जाने लगा। भारत सरकार ने अन्य वित्तीय संस्थाओं को भी कमर्शियल पेपर जारी करने की अनुमति कर दी। जिससे यह संस्थाएं अल्पकालिक वित्तपोषण को पूरा कर सकें।

कमर्शियल पेपर (Commercial Paper) कौन जारी कर सकता है? –

कमर्शियल पेपर को भारत सरकार अर्थात अखिल भारतीय वित्त संस्थान प्राथमिक डीलर निगम आज कमर्शियल पेपर जारी कर सकते हैं। इस संस्था द्वारा एक पत्र जारी कर निश्चित समय अवधि पर निवेश करने वाले निवेशकों को एक निश्चित रिटर्न देने का वादा किया जाता है। कंपनियां कमर्शियल पेपर को डिस्काउंट रेट पर जारी करती हैं। अर्थात कमर्शियल पेपर को उनकी वैल्यू से कम मूल्य पर जारी किया जाता है।  

उदाहरण : मान लीजिए कोई इकाई अपना मूल्य ₹100 निर्धारित करती है लेकिन कंपनी इसे अपने निवेशकों के लिए ₹95 में जारी करने का प्लान करती है और इसे 2 महीने, 3 महीने, 6 महीने या फिर 1 साल के लिए उसके अंकित मूल्य अर्थात कमर्शियल पेपर पर अंकित मूल्य से कम वैल्यू पर जारी करती है और अंकित मूल्य के बराबर प्रति यूनिट चुकाने का वादा करती है।

 इसे इस प्रकार भी समझ सकते हैं जैसे आपने कोई कमर्शियल पेपर जिसका मूल्य ₹500 है, उसे आपने ₹400 पर खरीदा है। कंपनी आपको 6 महीने बाद ₹500 देने का वादा करती है। यहां पर ₹500 कंपनी के कमर्शियल पेपर पर अंकित मूल्य या फेस वैल्यू है, जिस पर कम्पनी डिस्काउंट देकर ₹400 में अपने निवेशकों के लिए जारी करते हैं।

कमर्शियल पेपर (Commercial paper) कितने समय के लिए जारी होती है? – 

कमर्शियल पेपर अल्पकालिक प्रपोजल के तौर पर जाने जाते हैं। इसलिए कमर्शियल पेपर को अल्पकाल के लिए जारी किया जाता है। कंपनियां इसे 7 दिन से लेकर अधिकतम 1 साल तक की अवधि के लिए जारी कर सकती हैं। इस तरह से हम कह सकते हैं कि कमर्शियल पेपर की परिपक्वता अवधि (Maturity period) 7 दिन से लेकर अधिकता 1 साल की अवधि के लिए होता है।

किसी भी कंपनी द्वारा कमर्शियल पेपर जारी करने से पहले कंपनियों को भारत के केंद्रीय बैंक “रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया” के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करना होता है। इसके अलावा कोई भी कंपनी अगर कमर्शियल पेपर जारी करना चाहती है, इसे सबसे पहले देश की प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसियों में से किसी एक एजेंसी द्वारा अपने कंपनी की रेटिंग करानी पड़ती है। इसके बाद ही कंपनी कमर्शियल पेपर जारी कर सकती है।

कमर्शियल पेपर (Commercial Paper) कौन ले सकता है? –

कमर्शियल पेपर को रिटेल निवेशक (Investor), घरेलू संस्थागत निवेशक, विदेशी संस्थागत निवेशक, NRI, रजिस्टर कंपनियां निवेश कर सकती हैं। हालांकि विदेशी संस्थागत निवेश द्वारा निवेश के लिए समय-समय पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड सेबी द्वारा निर्धारित सीमाओं के अंदर ही निवेश करने की अनुमति होती है। 

हम कह सकते हैं कि विभिन्न कंपनियां कमर्शियल पेपर (Commercial Paper) जारी करके अपनी अल्पकालीन पूंजी जरूरतों को पूरा करने के मकसद से कमर्शियल पेपर जारी करती है।

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