हर्षद मेहता Scam 1992: कहानी उस घोटाले की जिसने शेयर बाजार की दिशा बदल दी

Harshad Mehta Scam 1992: अभी कुछ महीने पहले हर्षद मेहता का नाम फिर से चर्चा में आया था। हर्षद मेहता एक ऐसी शख्सियत है जिन्होंने 1990 के दशक में वित्तीय बाजार को हिला कर रख दिया था। इसके बाद उनके जीवन पर एक किताब लिखी गई और एक वेब सीरीज भी बनाई गई। अब हाल में ही स्टार प्लस VIP पर अभिनेता अभिषेक बच्चन की फिल्म “द बिग बुल” रिलीज हुई है।
यह फिल्म पूरी तरीके से 1992 के स्कैम और हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित है। उसी के बाद लोग हर्षद मेहता के बारे में फिर से ज्यादा जाने के लिए उत्सुक है। तो आज हम इसी के बारे में जानिए लेकिन उसके पहले जानेंगे 1992 के घोटाले के बारे में –
1992 का स्कैम (Share Market Scam1992)-
हमारे देश की अर्थव्यवस्था में 1991 में सुधार शुरू हुआ था, जिसे इकोनामिक रिफॉर्म के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 1990 से 1992 तक का समय बहुत ही बड़े बदला वाला समय था।
लेकिन इसी दौरान एक बड़ा घोटाला देश के सामने आया था, जिसमें शेयरों की खरीद बिक्री की प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव शुरू हुआ। इस पूरे घोटाले के लिए हर्षद मेहता जिम्मेदार थे। कहा जाता है कि यह घोटाला करीबन चार हजार करोड़ का था। इसी के बाद शेयर मार्केट में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए सेबी (SEBI) का गठन किया गया।
हर्षद मेहता घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता का निधन 2002 में हुआ। लेकिन आज भी लोगों के मन में 1992 का स्टॉक मार्केट स्कैम जानने की इच्छा है खास कर के उन लोगों के मन में जो शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं।
हर्षद मेहता कौन है (Who is Harshad Mehta) –
हर्षद मेहता का पूरा नाम हर्षद शांतिलाल मेहता था। उन्हें अपने समय में शेयर मार्केट का बेताज बादशाह भी कहा जाता था। 29 जुलाई 1954 को पनवेल मोटी राजकोट गुजरात में हर्षद मेहता का जन्म हुआ था। वह एक छोटे बिजनेसमैन परिवार से संबंध रखते थे।
हर्षद मेहता का बचपन मुंबई के कांदिवली में गुजरा है। उसके बाद उनका पूरा परिवार रायपुर के मौदहापारा गुरुनानक चौक में आकर रहने लगा था। रायपुर के होली क्रॉस ब्यूरॉन बाजार सेकेंडरी स्कूल में उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई की और इंटर के बाद उन्होंने मुंबई के लाला लाजपत राय कॉलेज से बीकॉम की डिग्री हासिल की।
इसके बाद वह करीब 8 साल तक छोटी मोटी कई नौकरियां की। बीकॉम करने के बाद हर्षद मेहता पहली बार न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी किए थे। उस समय शेयर मार्केट में इंटरनेट का दौरा शुरू हो चुका था।
हर्षद मेहता ने अपनी नौकरी को छोड़ कर हरजीवनदास ने में दास सिक्योरिटीज नाम की ब्रोकरेज फर्म की नौकरी ज्वाइन कर ली। कहा जाता है कि प्रसन्न परिजीवन दास हर्षद मेहता के गुरु थे। उन्होंने ही हर्षद मेहता को शेयर मार्केट के गुर सिखाएं।
इसके बाद 1984 में हर्षद मेहता ने खुद की ग्रोमोर रिसर्च एंड ऐसेट मैनेजमेंट नाम की कंपनी की शुरुआत की और बंबई स्टॉक एक्सचेंज बीएसई में बतौर ब्रोकर मेंबरशिप ले ली। यहीं से हर्षद मेहता का बेताज बादशाह बनने का सफर शुरू हो जाता है और शेयर के दाम उनके इशारे पर काम करना शुरू कर देता है।
हर्षद मेहता घोटाला (Harshad Mehta Scam) –
1990 के दशक में हर्षद मेहता की कंपनी में बड़े-बड़े इन्वेस्टर्स अपना पैसा लगाने लगे थे। लेकिन जिस वजह से हर्षद मेहता का नाम स्टॉक मार्केट में छाया हुआ था वह था एसीसी (ACC) यानी कि एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी में उनका पैसा लगाना।
कहा जाता है कि जब हर्षद मेहता ने एसीसी कंपनी में पैसा लगाया तब इस कंपनी का भाग्य बदल गया। क्योंकि जिस एसीसी का शेयर ₹200 में था उसकी कीमत कुछ ही दिनों में ₹9000 के आंकड़े को पार कर गई।
1990 आते-आते हर्षद मेहता का नाम हर बड़े अखबार मैगजीन के कवर पर आने लगा था। स्टॉक मार्केट में आज भी हर्षद मेहता का नाम बड़े अदब से लेते हैं।